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ISRO’s SPADEX Mission: अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की नई शुरुआत

ISRO’s SPADEX Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारत के महत्वकांक्षी ‘स्पैडेक्स’ मिशन के लिए सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। यह मिशन 1 जनवरी, सोमवार को रात 9:58 बजे श्रीहरीकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-C60 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान एक साथ अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिसे अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग  तकनीकी में महारत हासिल होगी।

इस मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। यह मिशन भारत के आने वाले महत्वकांक्षी मिशनों, जैसे चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण, और चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग की राह में सहायक सिद्ध होगा।

डॉकिंग  तकनीकी का महत्व

डॉकिंग  तकनीकी का मतलब है दो अंतरिक्ष यानों का आपस में जुड़ना और फिर अलग होना। यह तकनीकी उन मिशनों के लिए बेहद आवश्यक है जिनमें दो या अधिक अंतरिक्ष यान को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता होती है, जैसे कि अंतरिक्ष में मानव की लंबी अवधि तक रहने की योजना, या अन्य ग्रहों और उपग्रहों से नमूने लाना।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह मिशन भारत को उन देशों की सूची में शामिल कर देगा जो अंतरिक्ष डॉकिंग  में माहिर हैं। यह तकनीकी भारत के महत्वकांक्षी मिशनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जैसे चंद्रमा से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण, और अन्य अंतरिक्ष अभियानों की सफलता।”

मिशन की प्रमुख विशेषताएँ

स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य दो अंतरिक्ष यानों के बीच डॉकिंग  और अंडॉकिंग  (दोनों यानों का अलग होना) की तकनीकी को प्रदर्शित करना है। इस मिशन में दो अंतरिक्ष यान होंगे – ‘चेजर’ और ‘टारगेट’। ये दोनों यान 476 किलोमीटर की कक्षीय दूरी पर एक साथ स्थापित किए जाएंगे। इनमें से चेजर यान में उच्च-रिज़ोल्यूशन कैमरा होगा, जबकि टारगेट यान में दो पेलोड्स होंगे, जो उच्च-रिज़ोल्यूशन छवियाँ और प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी करने में मदद करेंगे।

इन दोनों यानों के बीच डॉकिंग  और अंडॉकिंग  का परीक्षण किए जाने के बाद, ये दोनों यान अगले दो वर्षों तक पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाते रहेंगे। इस दौरान वैज्ञानिक इन यानों के द्वारा किए गए प्रयोगों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करेंगे, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

POEM-4 के तहत होने वाले प्रयोग

PSLV-C60 मिशन के तहत ISRO के POEM-4 (PSLV Orbital Experimental Module-4) कार्यक्रम के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए जाएंगे। POEM एक ISRO का प्रयोगात्मक मिशन है, जिसके तहत PS4 स्टेज का उपयोग एक प्लेटफॉर्म के रूप में किया जाता है, जिससे विभिन्न प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं। इस मिशन में PSLV-C60 रॉकेट 24 पेलोड्स को साथ में लेकर जाएगा, जिनका उद्देश्य विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करना होगा।

इन पेलोड्स का उद्देश्य विभिन्न अंतरिक्ष में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों के परिणामों को एकत्रित करना है, जो भविष्य में अन्य अंतरिक्ष मिशनों में उपयोगी साबित होंगे। इन प्रयोगों में विभिन्न तरह की तकनीकी, संरचनात्मक, और वैज्ञानिक जांचें की जाएंगी, जो अंतरिक्ष में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी।

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इस मिशन से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलु

स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य केवल डॉकिंग  तकनीकी को प्रदर्शित करना नहीं है, बल्कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बढ़ती ताकत का प्रतीक है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत को अंतरिक्ष में नई ऊँचाइयों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।

इस मिशन के सफल होने से भारत को चंद्रमा पर लैंडिंग, मंगल पर यात्रा और अन्य अंतरिक्ष अभियानों में भी सफलता प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा, यह भारत को अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में भी मदद करेगा, जिसका सपना भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कई वर्षों से देखा है।

ISRO की सफलता की दिशा

ISRO ने अब तक कई महत्वपूर्ण मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं, जैसे चंद्रयान-1, मंगलयान (मंगल मिशन), और चंद्रयान-2। इन मिशनों ने ISRO को विश्वभर में एक प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में स्थापित किया है। अब, ‘स्पैडेक्स’ मिशन के माध्यम से भारत अंतरिक्ष डॉकिंग  तकनीकी में अपनी विशेषज्ञता हासिल करने के करीब पहुंच गया है।

यह मिशन भारत की अंतरिक्ष शक्ति को और मजबूत करेगा और भविष्य में बड़े अंतरिक्ष मिशनों के लिए भारत को और अधिक सक्षम बनाएगा। यह भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए एक और उपलब्धि का प्रतीक होगा, जो इस प्रकार के मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं।

स्पैडेक्स मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष में भारत की शक्ति को बढ़ाएगा। ISRO ने इस मिशन के लिए पूरी तैयारी कर ली है, और यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है, बल्कि यह पूरे विश्व में भारत की अंतरिक्ष शक्ति को प्रदर्शित करने का एक अवसर भी है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष डॉकिंग  तकनीकी में अमेरिका, रूस और चीन के साथ खड़ा होगा, जो भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

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